दो पेड़ों की बातचीत : भूपेंद्र रावत
नीम :- हेल्लो, भाई कैसे थोड़े उदास से लग रहे हो दूसरा नीम :- हां भाई अब हमारे बलिदान का वक़्त आ गया है। पहला नीम :- ओह! क्या बोल रहे हो तुम कुछ समझ मे नहीं आया। दूसरा नीम :- भाई क्या तुम्हें सच मे पता नही? या मज़ाक कर रहे हो पहला वृक्ष :- नही भाई सच मे नही पता, हुआ क्या ये तो बताओ। दूसरा :- भाई इस जगह में सरकार नए प्रोजेक्ट बनाने जा रही है। पहला :- किस चीज के नए प्रोजेक्ट भाई दूसरा :- भाई नए शहर, औधोगिक केंद्र ये सब। अब तो हमें काट दिया जाएगा। और सुनने में यह भी आया है कि वो हमारे स्थान पर नए पौंधों का रोपण करेंगे तथा कुछ को स्थानांतरित किया जाएगा। लेकिन मुझे एक बात समझ नही आई स्थानांतरित होता क्या है? और जब नए पौधे लगाने ही है तो इस जंगल का विनाश कर ही क्यों रहे है? पहला :- भाई, तो इसमें घबराने और डरने की बात ही क्या है। अब हमारी उम्र पूरी हो चुकी है थोड़ा नई पीढ़ी को भी अवसर दो कब तक हम ही राज करते रहेंगे? दूसरा :- लेकिन स्थानांतरित होता क्या है? पहला :- भाई इसका मतलब कि कुछ पौधो को एक जगह से दूसरी जगह लगा दिया जायेगा। दूसरा :- क्या ऐसा भी संभव है? पहला :- हां, क्यों नही। दूसरा :- लेकिन