गजू–मलारी (उत्तराखंड की लोक गाथा) : सं. भूपेंद्र रावत
कहानी है उत्तरकाशी क्षेत्र के गजे सिंह की जो कि भीतरी-दोणी का रहने वाला एक भेड़ पालक है, जबकि मलारी एक खूबसूरत युवती होती है जो कि दोणी गांव के थोकदार मौणया सौन्दण की बेटी है मलारी की ही तरह सुंदर उसकी छोटी बहन सलारी भी है। जागर कथानुसार जब सलारी व मलारी दोनों बहनें जंगल में घास काटने जाती है तो वह एक आदमखोर बाघ उन पर हमला करता है तभी गजे सिंह वहा पहुंचता है और मलारी की जान बचाता है, जहां दोनों की नजरें मिलती हैं।
गजे सिंह मलारी के रूप रंग को देखकर मलारी के प्रेम में इस तरह डूब जाता है कि अपने सपनों में भी उसे देखने लगता है गजू के दोस्त भिमु व मानी को उसके मलारी से प्रेम होने का एहसास हो जाता है, गजू अपने दोस्तों के साथ जंगलों से वापस घर आ रहा होता है तो तम्बाखू लेने के लिए उसे दोणी गांव जाना पड़ता है, जहां धारे में पानी लाने आई दोनों बहने सलारी व मलारी से फिर उसकी मुलाकात होती है और वहां वह मलारी को नैटवाड़ के मेले में मिलने को कहता है।
जब दोनों बहनें मेला घूम रही होती है, तो दोणी गांव का रणु उसे परेशान करने लगता है। गजे सिंह उसे देखता है, तो वह रणु की पिटाई कर देता है। बदले में रणु मलारी को सारे गांव में बदनाम कर देता है, जिसकी भनक जब थोकदार मौणया सौन्दण को लगती है तो वहां मलारी का घर की चैखट से बाहर निकलना बंद कर देता है। मलारी गजू के वियोग में दुःखी रहने लगती है और बीमार पड़ जाती है। अंत में थोकदार मौणया सौन्दण को एहसास होता है की उससे भूल हुई है और वह मलारी के कहने पर गजू को बुलाता है, परंतु तब तक बहुत देर हो जाती है गजू आता है और मलारी अपना दम गजू की बाहों में तोड़ देती है।
*उपरोक्त छायाचित्र देव भूमि दर्शन से प्राप्त
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