'वैवाहिक बलात्कार'(Marital Rape) - सच या सिर्फ सोच? : दीपाली
चित्र : प्रतीकात्मक चित्र* आज मैं आप सभी से एक बेहद ही गंभीर और संवेदनशील विषय पर चर्चा करना चाहती हूँ। विषय है – Marital Rape या हिंदी भाषा में कहें तो वैवाहिक बलात्कार। बलात्कार के आगे लगे इस वैवाहिक शब्द को पढ़कर अचंभित मत हों , क्योंकि भारतीय समाज में इस शब्द को भले ही गंभीर और चिंतनीय न समझा जाता हो , परंतु इस शब्द और विषय की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि विश्व के अनेक देशों ने इस स्थिति को संवैधानिक रूप से अपराध घोषित कर सज़ा तक का प्रावधान किया है। दरअसल ‘ वैवाहिक बलात्कार ’ विषय के रूप में बीते दिनों भारी चर्चा का विषय बना रहा। कारण है - दिल्ली हाईकोर्ट में वैवाहिक बलात्कार के एक मामले पर आया फैसला , जिसमें दो जजों की बेंच ने इसके निर्णय पर विभाजित फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के इस विभाजित फैसले ने मेरा ध्यान भी इस विषय की ओर आकर्षित किया। अपनी सामाजिक व संवैधानिक समझ का विस्तार करने के उद्देश्य से मैंने भी इस विषय पर अध्ययन तथा चिंतन आरम्भ किया, जिसमें कुछ गंभीर प्रश्न मेरे सामने उपस्थित हुए। प्रश्न था - कि जब भारतीय दंड संहिता की धारा 498 व 498 A के तह
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