प्रकृति की गोद में : भूपेंद्र रावत
रहने दो मुझे प्रकृति की गोद में,
खुले आसमान के नीचे, आधुनिक होते शहर के शोर से दूर।
जहाँ से हुई थी, मानव युग की शुरुआत,
मनुष्यों ने सीखा था, जीवन जीना वृक्षो, नदियों और पक्षियों से
परन्तु विकास के स्वर ने प्रकृति खड़ा कर दिया
विनाश के कटघरे में।
- भूपेंद्र रावत
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